वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी आउटलुक-2025 रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया है कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के बढ़ते उपयोग के साथ साइबर अपराध भी बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु:
1. एआई-संचालित साइबर हमले:
47% संगठन मानते हैं कि एआई-संचालित हमले उनके लिए एक बड़ी चुनौती हैं।
एआई का उपयोग फिशिंग, रैंसमवेयर और फेक न्यूज जैसी गतिविधियों को तेजी से बढ़ावा देने में हो रहा है।
2. साइबर अपराधियों की नई रणनीतियां:
एआई-आधारित तकनीकों का दुरुपयोग करके साइबर अपराधी अधिक जटिल और प्रभावी हमले कर रहे हैं।
फिशिंग (भ्रामक ईमेल/लिंक) और रैंसमवेयर (फाइलों को बंधक बनाकर फिरौती मांगना) के मामलों में एआई का उपयोग हो रहा है।
फेक न्यूज और गलत सूचनाओं को फैलाने में भी एआई का दुरुपयोग हो रहा है, जिससे समाज में भ्रम और अस्थिरता पैदा हो रही है।
3. साइबर सुरक्षा के लिए चिंताएं:
एआई के बढ़ते उपयोग ने पारंपरिक साइबर सुरक्षा प्रणालियों को अप्रभावी बना दिया है।
संगठनों को एआई आधारित सुरक्षा समाधानों को अपनाने की आवश्यकता है।
समाधान की जरूरत:
एआई आधारित साइबर सुरक्षा तकनीक:
संगठनों को एआई-आधारित खतरे से निपटने के लिए एडवांस्ड साइबर सुरक्षा टूल्स विकसित करने की जरूरत है।
सतर्कता और प्रशिक्षण:
कर्मचारियों और उपयोगकर्ताओं को साइबर खतरों के बारे में जागरूक और प्रशिक्षित किया जाना चाहिए।
वैश्विक सहयोग:
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर साइबर अपराधों को नियंत्रित करने के लिए साझेदारी और सामूहिक प्रयास आवश्यक हैं।
यह रिपोर्ट संकेत देती है कि जैसे-जैसे एआई का उपयोग बढ़ेगा, साइबर अपराधों का खतरा भी बढ़ेगा। ऐसे में सरकारों, संगठनों और व्यक्तियों को सतर्क रहकर साइबर सुरक्षा उपायों को मजबूत करना होगा।
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