Skip to main content

MENU👈

Show more

UPSC Current Affairs: 28 April 2025

दैनिक समसामयिकी लेख संकलन व विश्लेषण: 28 अप्रैल 2025 1-जल की राजनीति: उरी से झेलम तक बढ़ती रणनीतिकता प्रारंभिक टिप्पणी भारत द्वारा हाल ही में उरी जलविद्युत परियोजना के गेट खोलने और उसके परिणामस्वरूप पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में झेलम नदी का जलस्तर अप्रत्याशित रूप से बढ़ने की घटना ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान संबंधों में जल प्रबंधन के रणनीतिक आयामों को प्रमुखता से सामने ला दिया है। इस घटना ने न केवल भौगोलिक और पर्यावरणीय चिंताओं को जन्म दिया है, बल्कि एक गहरे भू-राजनीतिक संदेश का संकेत भी दिया है। घटना का संदर्भ और संभावित व्याख्याएँ सिंधु जल संधि (1960) के तहत भारत को झेलम नदी पर सीमित जलाशय क्षमता और जल प्रवाह प्रबंधन का अधिकार प्राप्त है। तकनीकी दृष्टि से उरी बांध के गेट खोलना संधि के प्रावधानों के भीतर रह सकता है। किंतु समय और प्रसंग को देखते हुए यह कदम महज इंजीनियरिंग या जल प्रबंधन का सामान्य निर्णय प्रतीत नहीं होता। विशेषकर जब पहलगाम में हालिया आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है, तब इस जलप्रवाह वृद्धि को एक रणनीतिक संकेत के रूप में पढ़ा जाना स्वाभाविक...

मिशन मौसम': भारत के विकास में एक नई दिशा

 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भारतीय मौसम विभाग (IMD) के 150वें स्थापना दिवस पर 'मिशन मौसम' की शुरुआत भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह पहल न केवल मौसम विज्ञान के क्षेत्र में देश को मजबूत बनाएगी, बल्कि इसका व्यापक प्रभाव कृषि, आपदा प्रबंधन और पर्यावरण संरक्षण जैसे कई क्षेत्रों पर पड़ेगा।

मिशन की आवश्यकता क्यों?

भारत एक कृषि प्रधान देश है, जहां लगभग 60% आबादी खेती पर निर्भर है। जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में हो रहे तीव्र बदलाव किसानों के लिए बड़ी चुनौती बन गए हैं। समय पर और सटीक मौसम पूर्वानुमान की कमी से फसल उत्पादन में नुकसान और आपदाओं में वृद्धि देखी गई है। 'मिशन मौसम' इस कमी को पूरा करने और समाज को बेहतर सेवाएं प्रदान करने के लिए आवश्यक कदम है।

तकनीकी विकास की ओर कदम

'मिशन मौसम' का उद्देश्य आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक अनुसंधान का उपयोग कर मौसम विज्ञान को उन्नत बनाना है। इसमें उपग्रह आधारित डेटा संग्रह, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), और मशीन लर्निंग जैसे तकनीकी उपकरणों का इस्तेमाल होगा। यह न केवल पूर्वानुमान को सटीक बनाएगा, बल्कि जलवायु परिवर्तन पर निगरानी के लिए भी उपयोगी होगा।

कृषि और आपदा प्रबंधन पर प्रभाव

किसानों के लिए समय पर मौसम की जानकारी सुनहरे अवसर जैसी है। बुवाई, सिंचाई और फसल कटाई के लिए सही समय जानने में यह मिशन मददगार होगा। इसके अलावा, चक्रवात, बाढ़, और सूखे जैसी आपदाओं से पहले अलर्ट जारी करने में इस मिशन की भूमिका अहम होगी। यह आपदा प्रबंधन की प्रक्रिया को कुशल बनाएगा और जीवन तथा संपत्ति की हानि को कम करेगा।

वैश्विक नेतृत्व की ओर बढ़ता भारत

'मिशन मौसम' भारत को मौसम विज्ञान के क्षेत्र में वैश्विक नेतृत्व प्रदान करने में सक्षम बना सकता है। यह पहल जलवायु संकट से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाती है और दुनिया को यह संदेश देती है कि विकास और पर्यावरण संरक्षण एक साथ संभव है।

चुनौतियां और संभावनाएं

हालांकि, इस मिशन के सामने कई चुनौतियां भी होंगी। तकनीकी संसाधनों का विस्तार, प्रशिक्षित मानव संसाधन की कमी, और वित्तीय समर्थन जैसी बाधाओं का समाधान करना होगा। फिर भी, यदि इसे सही तरीके से लागू किया गया, तो यह मिशन न केवल भारत के लिए बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल बनेगा।

निष्कर्ष

'मिशन मौसम' प्रधानमंत्री मोदी की दूरदर्शी सोच का प्रतीक है। यह पहल भारत को मौसम विज्ञान के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने और जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह न केवल वर्तमान पीढ़ी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी एक सुरक्षित और स्थिर भविष्य सुनिश्चित करने में सहायक होगा।


Previous & Next Post in Blogger
|
✍️ARVIND SINGH PK REWA

Comments

Advertisement

POPULAR POSTS