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Daily Current Affairs: 27 April 2025

दैनिक समसामयिकी लेख संकलन व विश्लेषण: 27 अप्रैल 2025 1-नये भारत में पितृत्व के अधिकार की पुनर्कल्पना सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से तलाकशुदा और अविवाहित पुरुषों के सरोगेसी के अधिकार को लेकर मांगा गया जवाब एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बहस की शुरुआत का संकेत देता है। महेश्वर एम.वी. द्वारा दायर याचिका केवल व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में परिवार, पितृत्व और व्यक्तिगत गरिमा के बदलते मायनों को न्यायिक जांच के दायरे में लाती है। वर्तमान कानूनी परिदृश्य सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 एक नैतिक और कानूनी प्रयास था, जिसका उद्देश्य वाणिज्यिक सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकना और मातृत्व के शोषण को समाप्त करना था। परंतु, इस अधिनियम में सरोगेसी का अधिकार केवल विधिवत विवाहित दंपतियों और विधवा या तलाकशुदा महिलाओं तक सीमित किया गया, जबकि तलाकशुदा अथवा अविवाहित पुरुषों को इससे बाहर कर दिया गया। यह प्रावधान न केवल लैंगिक समानता के सिद्धांत के विपरीत है, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 ...

Germany’s New Chancellor: Friedrich Merz’s Victory and the Changing Political Landscape

 जर्मनी के नए चांसलर: फ्रेडरिक मर्ज की जीत और बदलता राजनीतिक परिदृश्य

फ्रेडरिक मर्ज जर्मनी के नए चांसलर बने हैं, जिससे देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आने की संभावना है। यह लेख उनकी जीत, ओलाफ स्कोल्ज़ की हार के कारणों, और जर्मनी की भविष्य की नीतियों पर प्रभाव की गहन समीक्षा करता है। जानिए कैसे यह परिवर्तन यूरोपीय संघ, आप्रवासन नीति और वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर सकता है।
Germany’s New Chancellor: Friedrich Merz’s Victory and the Changing Political Landscape


जर्मनी ने अपने नए चांसलर के रूप में फ्रेडरिक मर्ज (Friedrich Merz) को चुना है। वे ओलाफ स्कोल्ज़ की जगह लेंगे, जिनकी सरकार आंतरिक कलह और नीतिगत असहमति के कारण अस्थिर हो गई थी। यह चुनाव तय समय से सात महीने पहले हुआ, क्योंकि स्कोल्ज़ की गठबंधन सरकार नवंबर 2024 में गिर गई थी।

चुनाव परिणाम और राजनीतिक प्रभाव

फ्रेडरिक मर्ज की पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है, लेकिन वे बहुमत के करीब हैं, जिससे उनके लिए सत्ता में आना संभव हो गया। उनकी जीत को जर्मनी में दक्षिणपंथी राजनीति के पुनरुत्थान के रूप में देखा जा रहा है। यह पहली बार है जब द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी में कोई दक्षिणपंथी पार्टी सत्ता में आई है।

उनकी जीत पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर लिखा, "जर्मनी के लोग भी बिना किसी सामान्य ज्ञान के एजेंडे से थक गए हैं, खासकर ऊर्जा और आप्रवासन पर। यह जर्मनी के लिए एक महान दिन है।" इस बयान से संकेत मिलता है कि जर्मनी की नई सरकार अमेरिका और अन्य देशों के साथ अपने संबंधों को एक नए दृष्टिकोण से देखेगी।

स्कोल्ज़ सरकार की हार के कारण

ओलाफ स्कोल्ज़ के नेतृत्व में सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD) ने 2021 में सत्ता संभाली थी, लेकिन उनका कार्यकाल कई चुनौतियों से भरा रहा। उनकी गठबंधन सरकार के तीन दल—SPD, ग्रीन्स और फ्री डेमोक्रेट्स—आंतरिक विवादों में उलझे रहे। मुख्य रूप से दो कारणों से उनकी लोकप्रियता घटी:

1. आप्रवासन नीति पर असहमति:

 स्कोल्ज़ सरकार की उदार प्रवासी नीति के कारण जनता में असंतोष बढ़ा, जिससे दक्षिणपंथी दलों को फायदा हुआ।

2. ऊर्जा संकट:  

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद जर्मनी में ऊर्जा संकट गहरा गया। सरकार ने जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम करने की कोशिश की, लेकिन इससे महंगाई बढ़ गई और नागरिकों में नाराजगी फैल गई।

जर्मनी और वैश्विक राजनीति पर प्रभाव

जर्मनी यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होने के साथ-साथ नाटो और यूरोपीय संघ (EU) का एक महत्वपूर्ण सदस्य है। फ्रेडरिक मर्ज की सरकार के आने से कई नीतिगत बदलाव देखने को मिल सकते हैं:

यूक्रेन नीति: 

जर्मनी, अमेरिका के बाद यूक्रेन को सबसे अधिक सैन्य सहायता देने वाला देश रहा है। लेकिन मर्ज की सरकार इस पर पुनर्विचार कर सकती है।

यूरोपीय संघ में प्रभाव: 

यूरोपीय संघ में जर्मनी का दृष्टिकोण अब अधिक राष्ट्रवादी हो सकता है, जिससे यूरोपीय राजनीति में नई हलचल हो सकती है।

आप्रवासन नीति में बदलाव: 

मर्ज ने चुनाव प्रचार के दौरान कड़े आव्रजन नियम लागू करने की बात कही थी, जिससे शरणार्थियों की संख्या को सीमित किया जा सके।

निष्कर्ष

फ्रेडरिक मर्ज की जीत जर्मनी के राजनीतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह चुनाव न केवल जर्मनी के लिए, बल्कि पूरे यूरोप और वैश्विक राजनीति के लिए एक नए युग की शुरुआत हो सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि मर्ज अपनी नीतियों को कैसे लागू करते हैं और उनकी सरकार जर्मनी को किस दिशा में ले जाती है।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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