UN विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 - फिनलैंड की निरंतर सफलता और भारत की चुनौतियाँ
परिचय
20 मार्च, 2025 को हम अंतरराष्ट्रीय खुशहाली दिवस मना रहे हैं, और इसी संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र (UN) के सहयोग से जारी विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर खुशी और जीवन संतुष्टि के मापदंडों को सामने रखा है। इस रिपोर्ट में फिनलैंड को लगातार आठवें वर्ष दुनिया का सबसे खुशहाल देश घोषित किया गया है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, नीदरलैंड्स, कोस्टा रिका, नॉर्वे, इज़रायल, लक्ज़मबर्ग और मेक्सिको शीर्ष दस में शामिल हैं। दूसरी ओर, भारत इस सूची में 143 देशों में से 118वें स्थान पर है, जो देश के सामने मौजूद सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक चुनौतियों की ओर इशारा करता है। यह संपादकीय विश्व खुशहाली रिपोर्ट के निष्कर्षों का विश्लेषण करता है, फिनलैंड की सफलता के कारणों की पड़ताल करता है, और भारत की स्थिति को बेहतर करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करता है। यह लेख परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ एक गहन चिंतन भी प्रस्तुत करता है।
विश्व खुशहाली रिपोर्ट: एक अवलोकन
विश्व खुशहाली रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र सतत विकास समाधान नेटवर्क (UN Sustainable Development Solutions Network) द्वारा गैलप वर्ल्ड पोल के डेटा के आधार पर तैयार की जाती है। यह रिपोर्ट छह प्रमुख मानदंडों पर देशों का मूल्यांकन करती है: प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद (GDP per capita), सामाजिक समर्थन, स्वस्थ जीवन प्रत्याशा, जीवन विकल्पों की स्वतंत्रता, उदारता, और भ्रष्टाचार की अनुपस्थिति। व्यक्तियों से उनकी जीवन संतुष्टि को 0 से 10 के पैमाने पर आंकने के लिए कहा जाता है, जिसे कैंट्रिल लैडर (Cantril Ladder) कहते हैं। यह एक आत्म-मूल्यांकन उपकरण है जो लोगों की अपनी जिंदगी के प्रति संतुष्टि को मापता है। इस रिपोर्ट का उद्देश्य केवल आर्थिक प्रगति को नहीं, बल्कि समग्र कल्याण को नीति-निर्माण का आधार बनाना है।
फिनलैंड की सफलता के पीछे का रहस्य
फिनलैंड का लगातार आठ वर्षों तक सबसे खुशहाल देश के रूप में शीर्ष पर बने रहना संयोग नहीं है। इसकी सफलता के पीछे कई ठोस कारण हैं जो नॉर्डिक देशों की सामाजिक-आर्थिक संरचना को प्रतिबिंबित करते हैं। सबसे पहले, फिनलैंड में सामाजिक समर्थन की व्यवस्था अत्यंत मजबूत है। मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएँ, और बेरोजगारी लाभ जैसे कल्याणकारी उपाय नागरिकों को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करते हैं। प्रति व्यक्ति जीडीपी $50,000 से अधिक है, जो उच्च जीवन स्तर को सुनिश्चित करता है। स्वस्थ जीवन प्रत्याशा 82 वर्ष के करीब है, जो बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं और जीवनशैली का परिणाम है।
दूसरा, फिनलैंड में भ्रष्टाचार का स्तर बहुत कम है। ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक (Corruption Perception Index) में फिनलैंड हमेशा शीर्ष पर रहता है। इससे नागरिकों में सरकार और संस्थाओं पर भरोसा बढ़ता है। तीसरा, जीवन विकल्पों की स्वतंत्रता और उदारता का स्तर भी उल्लेखनीय है। फिनलैंड के लोग न केवल अपने लिए, बल्कि समाज के लिए भी योगदान देने में विश्वास रखते हैं। प्रकृति से गहरा जुड़ाव और कार्य-जीवन संतुलन (work-life balance) उनकी खुशी को और बढ़ाता है। हेलसिंकी विश्वविद्यालय की शोधकर्ता जेनिफर डी पाओला के अनुसार, "फिन्स का प्रकृति से जुड़ाव और संतुलित जीवनशैली उनकी संतुष्टि का प्रमुख कारण है।"
शीर्ष 10 देशों का विश्लेषण
शीर्ष दस देशों में नॉर्डिक देशों (फिनलैंड, डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, नॉर्वे) का वर्चस्व है, जो सामाजिक कल्याण, समानता, और पर्यावरण संरक्षण पर उनके जोर को दर्शाता है। नीदरलैंड्स और लक्ज़मबर्ग जैसे यूरोपीय देश उच्च जीवन स्तर और आर्थिक स्थिरता के कारण शामिल हैं। इज़रायल मध्य पूर्व में सबसे खुशहाल देश है, जो मजबूत अर्थव्यवस्था और सामाजिक लचीलापन (resilience) का प्रमाण है। कोस्टा रिका और मेक्सिको जैसे लैटिन अमेरिकी देशों का शीर्ष 10 में होना आश्चर्यजनक है, क्योंकि ये देश मध्यम आय वाले हैं। कोस्टा रिका का "पुरा विदा" (Pura Vida) दर्शन और पर्यावरण के प्रति प्रतिबद्धता, साथ ही मेक्सिको की मजबूत पारिवारिक संरचना, उनकी खुशी का आधार है।
भारत की स्थिति: 118वां स्थान
भारत का 118वां स्थान चिंता का विषय है। पिछले वर्ष (2024 में 126वां) की तुलना में यह सुधार जरूर है, लेकिन पड़ोसी देशों जैसे नेपाल (92वां) और पाकिस्तान (109वां) से पीछे रहना कई सवाल उठाता है। भारत का स्कोर 4.054 (10 में से) रहा, जो वैश्विक औसत 5.5 से काफी कम है। इसके पीछे कई कारण हैं।
आर्थिक असमानता:
सामाजिक समर्थन की कमी:
शहरीकरण और पारंपरिक पारिवारिक ढांचे के विघटन ने सामाजिक समर्थन को कमजोर किया है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत में युवाओं की तुलना में वृद्ध लोग अधिक संतुष्ट हैं, जो सामाजिक नेटवर्क की भूमिका को दर्शाता है।
स्वास्थ्य चुनौतियाँ:
स्वस्थ जीवन प्रत्याशा 70 वर्ष के करीब है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं तक असमान पहुँच एक बड़ी समस्या है। ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं की कमी और शहरी क्षेत्रों में प्रदूषण इसका कारण है।
भ्रष्टाचार और स्वतंत्रता:
भ्रष्टाचार धारणा सूचकांक में भारत का स्थान 85वां है, जो सरकार और संस्थाओं पर कम भरोसे को दर्शाता है। साथ ही, सामाजिक और सांस्कृतिक बंधन जीवन विकल्पों की स्वतंत्रता को सीमित करते हैं।
उदारता का अभाव:
आर्थिक असमानता और संसाधनों की कमी के कारण भारत में परोपकारिता (generosity) का स्तर कम है।
भारत में खुशहाली की विविधता
भारत जैसे विशाल और विविध देश में खुशहाली को एकसमान मापना मुश्किल है। उदाहरण के लिए, केरल और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्य उच्च मानव विकास सूचकांक (HDI) के कारण बेहतर प्रदर्शन करते हैं, जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्य पीछे हैं। शहरी मध्यम वर्ग में भौतिक सुख-सुविधाएँ बढ़ी हैं, लेकिन तनाव और अकेलापन भी बढ़ा है। ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक जीवन खुशी का स्रोत है, लेकिन गरीबी और संसाधनों की कमी इसे सीमित करती है। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि भारत में वृद्ध महिलाएँ पुरुषों की तुलना में कम संतुष्ट हैं, जो लैंगिक असमानता की ओर इशारा करता है।
तुलनात्मक विश्लेषण: भारत और पड़ोसी देश
नेपाल (92वां) और पाकिस्तान (109वां) भारत से बेहतर क्यों हैं? नेपाल में सामुदायिक जीवन और बौद्ध दर्शन खुशी को बढ़ाते हैं, भले ही उसकी अर्थव्यवस्था कमजोर हो। पाकिस्तान में पारिवारिक और धार्मिक मूल्य सामाजिक समर्थन प्रदान करते हैं। वहीं, भारत में तेज शहरीकरण और आर्थिक दबाव इन पारंपरिक संरचनाओं को कमजोर कर रहे हैं। चीन (60वां) की स्थिति बेहतर है, क्योंकि वहाँ आर्थिक प्रगति और बुनियादी ढांचे का विकास तेजी से हुआ है।
भारत के लिए सुझाव
भारत की स्थिति सुधारने के लिए नीति-निर्माण में बदलाव जरूरी है। पहला, आर्थिक असमानता को कम करने के लिए समावेशी विकास पर ध्यान देना होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और बुनियादी सुविधाएँ बढ़ानी होंगी। दूसरा, स्वास्थ्य और शिक्षा पर सार्वजनिक निवेश बढ़ाना जरूरी है। तीसरा, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए पारदर्शी प्रशासन और जवाबदेही सुनिश्चित करनी होगी। चौथा, सामाजिक समर्थन को मजबूत करने के लिए सामुदायिक कार्यक्रमों और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना चाहिए। अंत में, पर्यावरण संरक्षण और कार्य-जीवन संतुलन पर ध्यान देकर शहरी जीवन की गुणवत्ता सुधारी जा सकती है।
निष्कर्ष
विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 फिनलैंड जैसे देशों के लिए एक प्रेरणा है और भारत जैसे देशों के लिए एक सबक। फिनलैंड की सफलता यह साबित करती है कि आर्थिक समृद्धि के साथ-साथ सामाजिक कल्याण और पारदर्शिता खुशी की कुंजी हैं। भारत के लिए 118वां स्थान एक चुनौती है, लेकिन यह सुधार की संभावना भी दिखाता है। यदि भारत अपनी विविधता को ताकत बनाकर समावेशी नीतियाँ अपनाए, तो वह न केवल आर्थिक महाशक्ति, बल्कि खुशहाल राष्ट्र भी बन सकता है। यह समय है कि हम खुशी को केवल व्यक्तिगत लक्ष्य न मानकर सामाजिक प्रगति का पैमाना बनाएँ।
परीक्षा उपयोगिता
यह संपादकीय UPSC, SSC, और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी है। यहाँ विश्व खुशहाली रिपोर्ट के तथ्य, भारत की स्थिति, और सुधार के सुझाव संक्षिप्त और विश्लेषणात्मक रूप में हैं। इसे निबंध, सामान्य अध्ययन (GS-1 और GS-2), और करेंट अफेयर्स के लिए आधार बनाया जा सकता है।
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