भारत में नया डिजिटल डेटा संरक्षण कानून: एक विस्तृत निबंध
✍️ भूमिका
21वीं सदी में डिजिटल क्रांति ने दुनिया को एक नई दिशा दी है। इंटरनेट और तकनीक के बढ़ते उपयोग ने डेटा को सबसे मूल्यवान संसाधन बना दिया है। इसी के साथ व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती बन गई है। भारत सरकार ने इस चुनौती से निपटने के लिए डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (DPDP Act), 2023 को पारित किया। यह कानून नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करने और डेटा के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
मार्च 2025 में सरकार ने इस कानून में संशोधन बिल पेश किया, जिसका उद्देश्य इसे अधिक प्रभावी और व्यावहारिक बनाना है। यह लेख भारत में नए डिजिटल कानून की प्रमुख विशेषताओं, चुनौतियों, प्रभाव और वैश्विक परिप्रेक्ष्य का विस्तार से विश्लेषण करेगा।
✅ डिजिटल कानून की पृष्ठभूमि और आवश्यकता
भारत में डेटा सुरक्षा को लेकर मजबूत कानून की मांग लंबे समय से हो रही थी।
- 2017 का जस्टिस पुट्टस्वामी फैसला (अनुच्छेद 21 के तहत गोपनीयता को मौलिक अधिकार घोषित किया गया) डेटा सुरक्षा कानून की नींव बना।
- 2018: जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण कमेटी ने पहला डेटा संरक्षण मसौदा पेश किया।
- 2023: भारत ने DPDP Act को पारित किया, जो देश का पहला व्यापक डेटा सुरक्षा कानून है।
- 2025: सरकार ने इसे प्रभावी बनाने के लिए संशोधन बिल पेश किया।
आवश्यकता क्यों पड़ी?
- बढ़ता डेटा दुरुपयोग: ऑनलाइन सेवाओं के कारण व्यक्तिगत डेटा का बड़े पैमाने पर संग्रह हो रहा है।
- डेटा उल्लंघन: डेटा चोरी और साइबर अपराध की बढ़ती घटनाओं ने कड़े नियमों की आवश्यकता को जन्म दिया।
- अंतरराष्ट्रीय मानकों की आवश्यकता: यूरोपीय संघ का GDPR डेटा सुरक्षा में एक वैश्विक मानक बन गया है। भारत को भी वैश्विक व्यापार में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए ऐसा कानून बनाना जरूरी था।
⚙️ प्रमुख विशेषताएँ और प्रावधान
1. डेटा प्रोसेसिंग में सहमति अनिवार्य
- कंपनियां नागरिकों के डेटा को उनकी स्पष्ट सहमति के बिना प्रोसेस नहीं कर सकेंगी।
- नागरिकों को किसी भी समय अपनी सहमति वापस लेने का अधिकार होगा।
- बच्चों के डेटा को विशेष सुरक्षा दी जाएगी।
2. डेटा फिड्यूशियरी और उनकी जिम्मेदारी
- डेटा प्रोसेस करने वाले प्लेटफॉर्म को:
- डेटा को सटीक और सुरक्षित रखना होगा।
- उपयोग पूरा होने के बाद डेटा को हटाना होगा।
- बड़े डेटा संचालकों (Significant Data Fiduciary) को:
- वार्षिक ऑडिट करवाना होगा।
- सुरक्षा मानकों का पालन अनिवार्य होगा।
3. डेटा उल्लंघन (Breach) की स्थिति में नियम
- डेटा ब्रीच होने पर:
- 72 घंटे के भीतर डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड को सूचना देना अनिवार्य होगा।
- प्रभावित नागरिकों को भी सूचित किया जाएगा।
4. क्रॉस-बॉर्डर डेटा ट्रांसफर
- भारत से बाहर डेटा ट्रांसफर की अनुमति होगी, लेकिन:
- सरकार कुछ देशों पर प्रतिबंध लगा सकती है।
- डेटा सुरक्षा मानकों का पालन करना होगा।
5. दंड और जुर्माना
- कानून का उल्लंघन करने पर सख्त दंड का प्रावधान है:
- अधिकतम 250 करोड़ रुपये का जुर्माना।
- बच्चों के डेटा उल्लंघन पर 200 करोड़ रुपये का जुर्माना।
- बार-बार उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई का अधिकार।
📊 कानून का प्रभाव
1. नागरिकों पर प्रभाव
- नागरिकों को अपने डेटा पर अधिक नियंत्रण मिलेगा।
- डेटा के दुरुपयोग से होने वाली साइबर धोखाधड़ी में कमी आएगी।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भरोसा बढ़ेगा।
2. व्यवसायों पर प्रभाव
- डेटा संचालित कंपनियों को सख्त नियमों का पालन करना होगा।
- डेटा सुरक्षा उपायों में निवेश बढ़ेगा।
- छोटे व्यवसायों पर अनुपालन का बोझ बढ़ सकता है।
3. सरकार पर प्रभाव
- सरकार के पास सुरक्षा और आपातकालीन स्थितियों में डेटा तक पहुंचने की शक्ति होगी।
- इससे साइबर सुरक्षा मजबूत होगी, लेकिन निगरानी का खतरा भी रहेगा।
⚠️ चुनौतियाँ और विवाद
1. निजता बनाम सरकारी निगरानी
- कानून में सरकार को सुरक्षा कारणों से डेटा तक पहुंचने की व्यापक शक्ति दी गई है।
- आलोचक इसे "ऑरवेलियन स्टेट" (Big Brother जैसी निगरानी व्यवस्था) मान रहे हैं।
2. अस्पष्ट नियम
- कानून में यह स्पष्ट नहीं है कि किन देशों को डेटा ट्रांसफर के लिए प्रतिबंधित किया जाएगा।
- इससे व्यवसायों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है।
3. व्यवसायों के लिए कठिनाई
- डेटा संरक्षण के सख्त नियम छोटे और मध्यम व्यवसायों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकते हैं।
- अंतरराष्ट्रीय कंपनियों को भी डेटा प्रोसेसिंग में बदलाव करना होगा।
🌍 वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत का डिजिटल कानून
भारत का DPDP Act वैश्विक डेटा सुरक्षा मानकों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यूरोपीय संघ (GDPR): GDPR में डेटा लोकलाइजेशन सख्त है, जबकि भारत ने इसे लचीला रखा है।
- अमेरिका: वहां डेटा सुरक्षा पर कोई केंद्रीय कानून नहीं है, लेकिन भारत में अब मजबूत कानून है।
- चीन: वहां डेटा सुरक्षा कानून काफी कड़े हैं, और सरकार की निगरानी शक्तियां अधिक हैं।
📚 परीक्षा उपयोगी तथ्य
- कानून का नाम: डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन अधिनियम (DPDP Act), 2023।
- संवैधानिक आधार: अनुच्छेद 21 – गोपनीयता का मौलिक अधिकार।
- प्रस्तावक: MeitY (इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय)।
- ड्राफ्ट कमेटी: जस्टिस बी.एन. श्रीकृष्ण (2018)।
- अधिकतम जुर्माना: 250 करोड़ रुपये।
- DPBI का फुल फॉर्म: Data Protection Board of India।
✅ निष्कर्ष
भारत का डिजिटल पर्सनल डेटा संरक्षण अधिनियम (DPDP Act) नागरिकों की गोपनीयता को सुरक्षित करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। यह कानून डेटा सुरक्षा के अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और डिजिटल अधिकारों को मजबूत करेगा। हालांकि, इस कानून में सरकारी निगरानी और अस्पष्ट नियमों को लेकर चिंताएं भी हैं, जिन्हें संतुलित करना आवश्यक है।
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