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Daily Current Affairs: 27 April 2025

दैनिक समसामयिकी लेख संकलन व विश्लेषण: 27 अप्रैल 2025 1-नये भारत में पितृत्व के अधिकार की पुनर्कल्पना सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से तलाकशुदा और अविवाहित पुरुषों के सरोगेसी के अधिकार को लेकर मांगा गया जवाब एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बहस की शुरुआत का संकेत देता है। महेश्वर एम.वी. द्वारा दायर याचिका केवल व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में परिवार, पितृत्व और व्यक्तिगत गरिमा के बदलते मायनों को न्यायिक जांच के दायरे में लाती है। वर्तमान कानूनी परिदृश्य सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 एक नैतिक और कानूनी प्रयास था, जिसका उद्देश्य वाणिज्यिक सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकना और मातृत्व के शोषण को समाप्त करना था। परंतु, इस अधिनियम में सरोगेसी का अधिकार केवल विधिवत विवाहित दंपतियों और विधवा या तलाकशुदा महिलाओं तक सीमित किया गया, जबकि तलाकशुदा अथवा अविवाहित पुरुषों को इससे बाहर कर दिया गया। यह प्रावधान न केवल लैंगिक समानता के सिद्धांत के विपरीत है, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 ...

Mahrang Baloch : The Voice of Balochistan

 महरंग बलोच: बलूचिस्तान की आवाज और मानवाधिकारों की पैरोकार

परिचय

बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रांत, दशकों से राजनीतिक अस्थिरता, मानवाधिकारों के हनन और जबरन गायब किए गए लोगों की बढ़ती घटनाओं का सामना कर रहा है। इस अशांत क्षेत्र में जहां आवाज़ उठाना जोखिम भरा है, वहीं महरंग बलोच जैसी बहादुर महिला कार्यकर्ता ने बलूच लोगों के अधिकारों के लिए एक बुलंद आवाज़ बनकर सामने आई हैं। पेशे से डॉक्टर और बलूच यकजहती कमेटी (BYC) की प्रमुख, महरंग बलोच अहिंसक आंदोलन और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से न्याय की मांग कर रही हैं। उनके संघर्ष ने न केवल पाकिस्तान बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी ध्यान आकर्षित किया है।

Mahrang Baloch: The Voice of Balochistan and a Champion of Human Rights


महरंग बलोच: एक परिचय

महरंग बलोच बलूचिस्तान की एक प्रमुख मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं, जो विशेष रूप से जबरन गायब किए गए लोगों और राज्य द्वारा प्रायोजित दमन के खिलाफ संघर्ष कर रही हैं। वे बलूच यकजहती कमेटी (BYC) की संगठक हैं, जो उन परिवारों का समर्थन करती है, जिनके प्रियजन लापता कर दिए गए हैं। बलूचिस्तान में ऐसे हजारों परिवार हैं जो वर्षों से अपने गुमशुदा परिजनों की तलाश कर रहे हैं, और महरंग बलोच उनके लिए आशा की किरण बन गई हैं।

बलूचिस्तान की समस्या और मानवाधिकारों का उल्लंघन

बलूचिस्तान का संघर्ष दशकों पुराना है। यह क्षेत्र पाकिस्तान के निर्माण के बाद से ही असंतोष का केंद्र रहा है। बलूच राष्ट्रवादियों का मानना है कि बलूचिस्तान को जबरन पाकिस्तान में शामिल किया गया था और उन्हें उनके प्राकृतिक संसाधनों पर अधिकार नहीं दिया गया। इस क्षेत्र में तेल, गैस और खनिज संसाधनों की भरमार है, लेकिन स्थानीय लोगों को इनका कोई लाभ नहीं मिलता।

बलूचिस्तान में विरोध प्रदर्शन करने वालों, पत्रकारों, कार्यकर्ताओं और छात्रों को अक्सर "गायब" कर दिया जाता है, जिन्हें बाद में मारा जाता है या फिर उनकी कोई जानकारी नहीं मिलती। पाकिस्तान की सेना और खुफिया एजेंसियों पर आरोप है कि वे जबरन गिरफ्तारियां और हत्याएं कर रही हैं। महरंग बलोच इसी के खिलाफ खड़ी हैं और बलूच लोगों के अधिकारों की बहाली की मांग कर रही हैं।

महरंग बलोच का संघर्ष और आंदोलन

महरंग बलोच का संघर्ष तब शुरू हुआ जब उन्होंने बलूच लापता लोगों के परिजनों के दर्द को करीब से देखा। उन्होंने बलूच यकजहती कमेटी (BYC) के बैनर तले शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू किए। उनका आंदोलन महात्मा गांधी के अहिंसक प्रतिरोध से प्रेरित है, जिसमें वे अहिंसा और शांतिपूर्ण विरोध के माध्यम से बलूच मुद्दों को उठाने का प्रयास कर रही हैं।

2023-24 में, उन्होंने कराची और इस्लामाबाद में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए। इन प्रदर्शनों का मकसद पाकिस्तान सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बलूच लापता लोगों की दुर्दशा की ओर आकर्षित करना था।

महरंग बलोच का आंदोलन सोशल मीडिया पर भी काफी प्रभावशाली रहा है। उन्होंने ट्विटर, फेसबुक और अन्य प्लेटफार्मों पर बलूच लोगों की आवाज को उठाया, जिससे दुनिया भर में उनकी पहचान बनी।

महरंग बलोच पर पाकिस्तान सरकार की प्रतिक्रिया

पाकिस्तान सरकार और सेना महरंग बलोच के बढ़ते प्रभाव से परेशान हैं। सरकार ने उनके आंदोलनों को दबाने के लिए कई प्रयास किए हैं, जिसमें उनके समर्थकों पर हमले, झूठे मुकदमे और मीडिया ब्लैकआउट शामिल हैं।

पाकिस्तानी मीडिया में उन्हें देशद्रोही के रूप में प्रस्तुत करने की कोशिश की गई, लेकिन महरंग बलोच ने यह स्पष्ट किया कि उनका संघर्ष सिर्फ मानवाधिकारों और न्याय के लिए है। उनकी मांगें स्पष्ट हैं:

1. जबरन गायब किए गए लोगों की तुरंत रिहाई।

2. बलूचिस्तान में जबरदस्ती थोपे गए सैन्य शासन का अंत।

3. बलूच लोगों के साथ न्याय और उनके संसाधनों पर उनका अधिकार।

अंतरराष्ट्रीय समुदाय की प्रतिक्रिया

महरंग बलोच के नेतृत्व में बलूच आंदोलन को अंतरराष्ट्रीय समर्थन मिलना शुरू हो गया है। संयुक्त राष्ट्र, मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने उनके संघर्ष को कवर किया है।

हाल ही में, उन्हें 2025 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया, जो उनके आंदोलन की वैश्विक मान्यता का प्रतीक है। उन्होंने इसे बलूच लापता लोगों के परिवारों की जीत बताया और कहा कि यह नामांकन बलूचिस्तान के लिए न्याय की लड़ाई को और मजबूत करेगा।

बलूच महिलाओं के लिए प्रेरणा

महरंग बलोच का संघर्ष केवल मानवाधिकारों तक सीमित नहीं है, बल्कि उन्होंने बलूच महिलाओं को भी जागरूक किया है। पारंपरिक रूप से रूढ़िवादी समाज में, महिलाओं की भागीदारी सीमित रही है, लेकिन महरंग बलोच के नेतृत्व ने बलूच महिलाओं को राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों के लिए सक्रिय किया है। अब कई महिलाएं बलूच आंदोलन में शामिल हो रही हैं और अपने अधिकारों के लिए आवाज उठा रही हैं।

भविष्य की चुनौतियां और संभावनाएं

महरंग बलोच का संघर्ष अभी जारी है और उनके सामने कई चुनौतियां हैं:

सरकारी दमन: पाकिस्तान सरकार और सेना उनके आंदोलन को कुचलने की पूरी कोशिश कर रही है।

मीडिया सेंसरशिप: पाकिस्तान में मुख्यधारा का मीडिया उनके आंदोलनों को कवर नहीं करता, जिससे उनकी आवाज दबाई जा रही है।

अंतरराष्ट्रीय समर्थन की आवश्यकता: हालांकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने उनके संघर्ष पर ध्यान दिया है, लेकिन अभी भी पर्याप्त समर्थन नहीं मिला है।

लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद, महरंग बलोच का आंदोलन बलूचिस्तान में एक नई उम्मीद की किरण बन चुका है। उनका संघर्ष केवल बलूच लोगों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे दक्षिण एशिया में मानवाधिकारों और न्याय के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।

निष्कर्ष

महरंग बलोच बलूचिस्तान की उन बहादुर आवाजों में से एक हैं, जिन्होंने शांतिपूर्ण और अहिंसक तरीके से मानवाधिकारों के लिए संघर्ष किया है। उनका आंदोलन न केवल जबरन गायब किए गए लोगों के परिवारों के लिए आशा की किरण बना है, बल्कि बलूच महिलाओं और युवाओं को भी सशक्त कर रहा है।

उनका संघर्ष यह साबित करता है कि आवाज उठाना ही पहला कदम है, और जब तक अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद होती रहेगी, तब तक बदलाव की संभावना बनी रहेगी। महरंग बलोच का आंदोलन न केवल बलूचिस्तान बल्कि पूरे विश्व के लिए एक प्रेरणा है कि कैसे एक व्यक्ति अपने साहस और संकल्प से सामाजिक परिवर्तन ला सकता है।


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✍️ARVIND SINGH PK REWA

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