Skip to main content

MENU👈

Show more

Daily Current Affairs: 27 April 2025

दैनिक समसामयिकी लेख संकलन व विश्लेषण: 27 अप्रैल 2025 1-नये भारत में पितृत्व के अधिकार की पुनर्कल्पना सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से तलाकशुदा और अविवाहित पुरुषों के सरोगेसी के अधिकार को लेकर मांगा गया जवाब एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बहस की शुरुआत का संकेत देता है। महेश्वर एम.वी. द्वारा दायर याचिका केवल व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में परिवार, पितृत्व और व्यक्तिगत गरिमा के बदलते मायनों को न्यायिक जांच के दायरे में लाती है। वर्तमान कानूनी परिदृश्य सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 एक नैतिक और कानूनी प्रयास था, जिसका उद्देश्य वाणिज्यिक सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकना और मातृत्व के शोषण को समाप्त करना था। परंतु, इस अधिनियम में सरोगेसी का अधिकार केवल विधिवत विवाहित दंपतियों और विधवा या तलाकशुदा महिलाओं तक सीमित किया गया, जबकि तलाकशुदा अथवा अविवाहित पुरुषों को इससे बाहर कर दिया गया। यह प्रावधान न केवल लैंगिक समानता के सिद्धांत के विपरीत है, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 ...

DRDO and Indian Army Successfully Conduct Four MRSAM Missile Tests in Odisha

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता की ओर एक और कदम: DRDO व भारतीय सेना द्वारा MRSAM परीक्षण की सफलता

हाल ही में DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) और भारतीय सेना ने ओडिशा के समुद्र तटीय क्षेत्र से मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल (MRSAM) के चार उड़ान परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किए। यह न केवल देश की सैन्य क्षमताओं को मजबूती प्रदान करता है, बल्कि 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक ठोस प्रगति भी है।

MRSAM प्रणाली की विशेषताएँ:

MRSAM, जिसे बाराक-8 के नाम से भी जाना जाता है, भारत-इज़राइल संयुक्त परियोजना का हिस्सा है। यह मिसाइल प्रणाली दुश्मन के विमानों, ड्रोन, हेलीकॉप्टरों और क्रूज़ मिसाइलों को 70-100 किमी तक की दूरी पर नष्ट करने में सक्षम है।

  • एक साथ कई लक्ष्यों को भेदने की क्षमता।
  • 360 डिग्री कवरेज व हाई रेस्पॉन्स टाइम।
  • इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर के अनुकूल डिजाइन।

रणनीतिक महत्व:

  • यह परीक्षण भारतीय सेना की त्वरित प्रतिक्रिया क्षमता को बढ़ाता है।
  • सीमावर्ती क्षेत्रों में वायु सुरक्षा की मजबूत व्यवस्था सुनिश्चित करता है।
  • भविष्य में स्वदेशी हथियार प्रणालियों के निर्माण में आत्मनिर्भरता को प्रेरित करता है।

निष्कर्ष:

MRSAM परीक्षणों की यह सफलता रक्षा क्षेत्र में भारत की तकनीकी दक्षता का प्रमाण है। इससे यह स्पष्ट है कि भारत अब केवल रक्षा उपकरणों का उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक वैश्विक रक्षा निर्माता बनने की ओर अग्रसर है।


यह रहे DRDO और भारतीय सेना द्वारा सफल MRSAM परीक्षण पर आधारित कुछ संभावित प्रश्न — जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा या अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जा सकते हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. हाल ही में DRDO और भारतीय सेना द्वारा किस मिसाइल प्रणाली के चार सफल परीक्षण ओडिशा में किए गए?
    a) आकाश
    b) ब्रह्मोस
    c) MRSAM
    d) पृथ्वी-II
    उत्तर: c) MRSAM

  2. MRSAM (Medium Range Surface to Air Missile) प्रणाली किस देश के सहयोग से विकसित की गई है?
    a) अमेरिका
    b) रूस
    c) इज़राइल
    d) फ्रांस
    उत्तर: c) इज़राइल

  3. MRSAM मिसाइल की मारक क्षमता लगभग कितनी होती है?
    a) 20-30 किमी
    b) 50-70 किमी
    c) 70-100 किमी
    d) 150-200 किमी
    उत्तर: c) 70-100 किमी


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive):

  1. MRSAM मिसाइल प्रणाली की विशेषताओं एवं इसकी रणनीतिक उपयोगिता पर प्रकाश डालिए।

  2. स्वदेशी रक्षा उत्पादन में DRDO की भूमिका का मूल्यांकन करें। हालिया मिसाइल परीक्षणों को उदाहरण स्वरूप प्रस्तुत करें।

  3. भारत की वायु सुरक्षा प्रणाली को सशक्त बनाने में MRSAM जैसी मिसाइल प्रणालियों का क्या योगदान है?



ऊर्जा संतुलन की चुनौती: कोयला और नवीकरणीय ऊर्जा के बीच भारत का भविष्य

हाल ही में प्रकाशित एक रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि वर्ष 2047 तक भारत की ऊर्जा उत्पादन में कोयला आधारित ताप विद्युत की हिस्सेदारी लगभग 37% बनी रहेगी, भले ही नवीकरणीय ऊर्जा का विस्तार तेज़ी से जारी रहे। यह आंकड़ा भारत की ऊर्जा रणनीति, पर्यावरणीय दायित्वों और आर्थिक यथार्थ के बीच संतुलन साधने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

कोयला: अभी भी एक प्रमुख स्तंभ

  • वर्तमान में भारत की कुल विद्युत उत्पादन का एक बड़ा हिस्सा कोयला आधारित ताप बिजलीघरों से आता है।
  • कोयला सस्ता, सुलभ और स्थिर ऊर्जा स्रोत है, विशेषतः बेस-लोड डिमांड पूरी करने के लिए।
  • कई राज्यों की ऊर्जा सुरक्षा कोयले पर ही निर्भर है।

नवीकरणीय ऊर्जा की प्रगति

  • भारत ने 2030 तक 500 GW नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है।
  • सौर और पवन ऊर्जा क्षेत्र में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
  • हरित हाइड्रोजन, बैटरी स्टोरेज और स्मार्ट ग्रिड तकनीकों पर कार्य प्रगति पर है।

पर्यावरणीय चुनौती

  • कोयले का उपयोग बढ़ता कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण का बड़ा स्रोत है।
  • भारत ने Net-Zero Emissions by 2070 का लक्ष्य निर्धारित किया है — जिसके लिए कोयले पर निर्भरता धीरे-धीरे कम करना आवश्यक है।

निष्कर्ष

भारत के लिए यह एक जटिल चुनौती है — ऊर्जा की बढ़ती मांग, आर्थिक विकास, और पर्यावरणीय दायित्वों के बीच संतुलन बनाना। जब तक नवीकरणीय ऊर्जा 24x7 विश्वसनीय और सस्ती नहीं हो जाती, तब तक कोयला एक आवश्यक घटक बना रहेगा। परंतु समानांतर रूप से हरित ऊर्जा निवेश और टेक्नोलॉजी ट्रांज़िशन की गति भी तेज करनी होगी।


 "भारत में कोयला आधारित ताप विद्युत 2047 तक 37% बनी रहेगी" विषय पर आधारित कुछ संभावित प्रश्न — UPSC, राज्य सेवा परीक्षा और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उपयोगी:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. हाल ही में जारी रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2047 तक भारत में कोयला आधारित ताप विद्युत की अनुमानित हिस्सेदारी कितनी रहेगी?
    a) 25%
    b) 30%
    c) 37%
    d) 50%
    उत्तर: c) 37%

  2. भारत ने Net Zero Carbon Emission का लक्ष्य किस वर्ष तक प्राप्त करने का संकल्प लिया है?
    a) 2030
    b) 2040
    c) 2050
    d) 2070
    उत्तर: d) 2070

  3. भारत ने वर्ष 2030 तक कितनी गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य रखा है?
    a) 175 GW
    b) 300 GW
    c) 500 GW
    d) 750 GW
    उत्तर: c) 500 GW


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. कोयला आधारित ताप विद्युत की भविष्य में प्रासंगिकता पर चर्चा करें, विशेष रूप से भारत के ऊर्जा क्षेत्र के संदर्भ में।

  2. भारत के ऊर्जा मिश्रण (Energy Mix) में कोयले और नवीकरणीय ऊर्जा के बीच संतुलन बनाए रखने की चुनौतियाँ और समाधान पर प्रकाश डालिए।

  3. "पर्यावरणीय दायित्वों और आर्थिक आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना भारत की ऊर्जा नीति की सबसे बड़ी चुनौती है" – टिप्पणी करें।


सीमा विकास की नई पहल: जीवंत गांव कार्यक्रम-II की प्रासंगिकता और संभावनाएँ

भारत सरकार द्वारा हाल ही में “जीवंत गांव कार्यक्रम-II (Vibrant Village Programme-II)” को वित्त वर्ष 2024-25 से 2028-29 तक लागू करने की कैबिनेट मंज़ूरी प्रदान की गई है। यह कार्यक्रम भारत-चीन, भारत-पाकिस्तान और भारत-म्यांमार जैसे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में बसे गांवों के समग्र विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।

कार्यक्रम का उद्देश्य:

  • सीमावर्ती गांवों में मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
  • स्थानीय लोगों के लिए रोज़गार और आजीविका के अवसर सृजित करना।
  • रिवर्स माइग्रेशन (पलायन की वापसी) को प्रोत्साहित करना।
  • सुरक्षा की दृष्टि से रणनीतिक गांवों को सशक्त बनाना।

मुख्य विशेषताएँ:

  • यह कार्यक्रम VVP-I (2022-23) की सफलता के बाद लाया गया है।
  • इसमें बुनियादी ढांचा, डिजिटल कनेक्टिविटी, स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, और सड़क निर्माण को प्राथमिकता दी गई है।
  • सामुदायिक भागीदारी एवं प्रशासनिक सहयोग पर बल दिया गया है।

रणनीतिक महत्त्व:

  • सीमावर्ती गांवों में स्थायी विकास भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा हुआ है।
  • यह चीन द्वारा सीमावर्ती क्षेत्रों में किए जा रहे निर्माण कार्यों का जवाब है।
  • सीमा क्षेत्र में जनसंख्या बनाए रखने से खुफिया व संचार नेटवर्क मज़बूत होता है।

चुनौतियाँ:

  • दुर्गम भौगोलिक स्थितियाँ
  • मौसमी बाधाएँ
  • सीमित संसाधन व प्रशासनिक पहुंच
  • स्थानीय युवाओं में रोजगार को लेकर अनिश्चितता

निष्कर्ष:

“जीवंत गांव कार्यक्रम-II” भारत की विकास और सुरक्षा नीति का समन्वित उदाहरण है। यदि इसे सुनियोजित ढंग से लागू किया जाए, तो यह न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों के लोगों की जीवन गुणवत्ता में सुधार लाएगा, बल्कि भारत की भौगोलिक अखंडता और सामरिक शक्ति को भी मजबूती प्रदान करेगा।


"जीवंत गांव कार्यक्रम-II (Vibrant Village Programme-II)" पर आधारित संभावित प्रश्न – जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा, SSC आदि में पूछे जा सकते हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. जीवंत गांव कार्यक्रम-II (VVP-II) किस वर्ष से किस वर्ष तक लागू किया जाएगा?
    a) 2023-24 से 2027-28
    b) 2024-25 से 2028-29
    c) 2025-26 से 2029-30
    d) 2022-23 से 2026-27
    उत्तर: b) 2024-25 से 2028-29

  2. Vibrant Village Programme-II का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    a) शहरी क्षेत्रों का आधुनिकीकरण
    b) वन क्षेत्रों में सड़क निर्माण
    c) सीमावर्ती गांवों का समग्र विकास
    d) बंजर भूमि का कृषि उपयोग
    उत्तर: c) सीमावर्ती गांवों का समग्र विकास

  3. निम्नलिखित में से कौन-से देश भारत के उन पड़ोसी देशों में आते हैं जिनकी सीमाओं पर VVP-II का कार्यान्वयन होगा?
    a) नेपाल, भूटान
    b) श्रीलंका, मालदीव
    c) चीन, पाकिस्तान, म्यांमार
    d) अफगानिस्तान, बांग्लादेश
    उत्तर: c) चीन, पाकिस्तान, म्यांमार


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. "जीवंत गांव कार्यक्रम-II भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास रणनीति का समन्वय है" – इस कथन की व्याख्या करें।

  2. सीमावर्ती क्षेत्रों में विकास से जुड़े सामाजिक-आर्थिक और रणनीतिक लाभों की चर्चा कीजिए।

  3. VVP-I और VVP-II की तुलना करते हुए नए कार्यक्रम की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।



स्वास्थ्य पर बोझ कम हुआ: आयुष्मान भारत और नीतिगत सुधारों की सफलता

भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र लंबे समय तक आम जनता के लिए एक चुनौतीपूर्ण विषय रहा है, विशेषकर तब जब इलाज के खर्च का बड़ा हिस्सा लोगों को अपनी जेब से वहन करना पड़ता था। वर्ष 2014 में जहां Out-of-Pocket Expenditure (OOPE) 62% था, वहीं हाल की रिपोर्ट के अनुसार यह घटकर 38% पर आ गया है। यह गिरावट भारत की स्वास्थ्य सेवा नीतियों में हुए सुधार, विशेषकर आयुष्मान भारत योजना के सफल क्रियान्वयन का परिणाम है।


Out-of-Pocket Expenditure क्या है?

Out-of-Pocket Expenditure वह खर्च होता है जो व्यक्ति सीधे अपनी जेब से चिकित्सा, दवाइयों, जांच और अस्पताल में भर्ती पर करता है, बीमा या सरकारी सहायता के बिना।


OOPE में गिरावट के कारण:

  1. आयुष्मान भारत योजना (PM-JAY):

    • 2018 में शुरू हुई यह दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना है, जो 10 करोड़ से अधिक गरीब और कमजोर परिवारों को 5 लाख रुपये तक का वार्षिक कवरेज प्रदान करती है।
  2. जन औषधि केंद्रों का विस्तार:

    • सस्ती दरों पर दवाइयों की उपलब्धता से दवा पर खर्च में गिरावट आई है।
  3. सरकारी अस्पतालों में सेवाओं का विस्तार:

    • प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर्स की संख्या बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में भी सस्ती सेवाएं उपलब्ध हुई हैं।
  4. डिजिटल स्वास्थ्य पहल (ABDM):

    • डिजिटल हेल्थ कार्ड, ई-हॉस्पिटल और टेलीमेडिसिन सेवाओं से चिकित्सा सुविधा की पहुँच और पारदर्शिता बढ़ी है।

अब भी मौजूद चुनौतियाँ:

  • ग्रामीण क्षेत्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी।
  • निजी अस्पतालों में महंगे इलाज की वजह से मध्यम वर्ग पर OOPE का बोझ।
  • बीमा दावों की प्रक्रिया में पारदर्शिता की आवश्यकता।

निष्कर्ष:

OOPE में आई गिरावट एक सकारात्मक संकेत है कि भारत सही दिशा में आगे बढ़ रहा है। लेकिन यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अभी भी स्वास्थ्य ढांचे को और मजबूत करने, मानव संसाधन बढ़ाने तथा सभी वर्गों के लिए समावेशी स्वास्थ्य नीति पर ध्यान देने की आवश्यकता है।


"भारत में Out-of-Pocket Health Expenditure में गिरावट" विषय पर आधारित संभावित प्रश्न — जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा, SSC, या स्वास्थ्य नीति से जुड़े किसी भी परीक्षा में उपयोगी हो सकते हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. भारत में स्वास्थ्य पर Out-of-Pocket Expenditure (OOPE) 2014 में कितना था?
    a) 45%
    b) 55%
    c) 62%
    d) 70%
    उत्तर: c) 62%

  2. हाल की रिपोर्ट के अनुसार, 2024 तक भारत में OOPE घटकर कितने प्रतिशत रह गया है?
    a) 40%
    b) 38%
    c) 35%
    d) 30%
    उत्तर: b) 38%

  3. निम्नलिखित में से कौन सी योजना भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य बीमा प्रदान करने के लिए शुरू की गई है?
    a) प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
    b) आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना
    c) उज्ज्वला योजना
    d) आरोग्य मित्र योजना
    उत्तर: b) आयुष्मान भारत - प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना

  4. Out-of-Pocket Expenditure का अर्थ है –
    a) सरकार द्वारा स्वास्थ्य पर किया गया खर्च
    b) बीमा कंपनियों द्वारा किया गया भुगतान
    c) नागरिक द्वारा अपनी जेब से किया गया स्वास्थ्य खर्च
    d) अस्पतालों का वार्षिक बजट
    उत्तर: c) नागरिक द्वारा अपनी जेब से किया गया स्वास्थ्य खर्च


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. भारत में स्वास्थ्य पर Out-of-Pocket Expenditure में कमी के क्या प्रमुख कारण हैं? विस्तार से समझाइए।

  2. आयुष्मान भारत योजना के योगदान से Out-of-Pocket Expenditure में किस प्रकार गिरावट आई है?

  3. स्वास्थ्य क्षेत्र में Out-of-Pocket खर्च को और कम करने हेतु सरकार को किन क्षेत्रों में सुधार करने की आवश्यकता है?



अनुसूचित जाति/जनजाति व महिला सशक्तिकरण की दिशा में 9 वर्ष : स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम की उपलब्धियाँ और चुनौतियाँ।

भारत सरकार द्वारा 5 अप्रैल 2016 को प्रारंभ की गई “स्टैंड अप इंडिया योजना” ने वर्ष 2025 में अपने 9 वर्ष पूर्ण कर लिए हैं। इस योजना का उद्देश्य SC, ST एवं महिला उद्यमियों को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करना और उन्हें बैंक ऋण सुविधा प्रदान कर आर्थिक मुख्यधारा से जोड़ना था।


उद्देश्य और स्वरूप:

स्टैंड अप इंडिया कार्यक्रम का मूल उद्देश्य भारत में समावेशी उद्यमिता को बढ़ावा देना था। योजना के अंतर्गत:

  • प्रत्येक बैंक शाखा को कम-से-कम एक SC/ST और एक महिला उद्यमी को
  • ₹10 लाख से ₹1 करोड़ तक का ऋण उपलब्ध कराना होता है।
  • यह ऋण मुख्यतः ग्रीनफील्ड (नई) परियोजनाओं के लिए दिया जाता है।

9 वर्षों की प्रमुख उपलब्धियाँ:

  1. लाखों उद्यमियों को लाभ:
    योजना के माध्यम से अब तक 2 लाख से अधिक लाभार्थियों को ऋण प्रदान किया जा चुका है, जिनमें अधिकांश ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों से हैं।

  2. महिला सशक्तिकरण में योगदान:
    कुल लाभार्थियों में 70% से अधिक महिलाएँ, जो पारंपरिक भूमिकाओं से बाहर निकलकर उद्यमिता के क्षेत्र में कदम रख रही हैं।

  3. स्वरोजगार और सामाजिक न्याय:
    योजना ने समाज के वंचित वर्गों को रोजगारदाता बनाने की दिशा में ठोस प्रयास किया है।


महत्व और प्रभाव:

  • सामाजिक समावेशन: वंचित समुदायों को आर्थिक रूप से मुख्यधारा में लाना।
  • आर्थिक आत्मनिर्भरता: लाभार्थियों की आय, आत्मविश्वास और सामाजिक स्थिति में वृद्धि।
  • महिलाओं का सशक्तिकरण: ग्रामीण क्षेत्रों में घरेलू सीमाओं से बाहर निकलकर महिला उद्यमिता में उछाल।

चुनौतियाँ:

  • प्रशिक्षण एवं मार्गदर्शन की कमी: अधिकांश लाभार्थियों को बिज़नेस संचालन संबंधी तकनीकी जानकारी नहीं होती।
  • ब्यूरोक्रेटिक प्रक्रियाएँ: ऋण मंज़ूरी में कभी-कभी अधिक समय और कागजी कार्यवाही बाधा बनती है।
  • ऋण चुकौती की कठिनाइयाँ: व्यवसाय के असफल रहने पर वित्तीय बोझ बढ़ जाता है

आगे की राह:

  • इन्क्यूबेशन और स्किल सपोर्ट सेंटर की स्थापना
  • डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से आसान आवेदन प्रक्रिया
  • मार्केटिंग, लॉजिस्टिक्स और ब्रांडिंग में सहयोग
  • महिला और दलित उद्यमियों के लिए नेटवर्किंग प्लेटफ़ॉर्म

निष्कर्ष:

स्टैंड अप इंडिया योजना ने सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के क्षेत्र में एक अनूठी मिसाल पेश की है। हालांकि चुनौतियाँ अभी भी विद्यमान हैं, लेकिन यह योजना भारत के नए भारत की कल्पना — जिसमें प्रत्येक नागरिक को अवसर मिले — को साकार करने की दिशा में एक मजबूत स्तंभ बन चुकी है।


"स्टैंड अप इंडिया योजना के 9 वर्ष पूर्ण" विषय पर आधारित संभावित प्रश्न — जो UPSC, राज्य सेवा परीक्षा, SSC, बैंकिंग आदि परीक्षाओं के लिए उपयोगी हैं:


वस्तुनिष्ठ प्रश्न (MCQs):

  1. स्टैंड अप इंडिया योजना की शुरुआत किस वर्ष की गई थी?
    a) 2014
    b) 2015
    c) 2016
    d) 2017
    उत्तर: c) 2016

  2. स्टैंड अप इंडिया योजना के अंतर्गत कौन-कौन से वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है?
    a) केवल महिला उद्यमी
    b) केवल अनुसूचित जाति
    c) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमी
    d) अन्य पिछड़ा वर्ग
    उत्तर: c) अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमी

  3. स्टैंड अप इंडिया योजना के तहत कितना ऋण प्रदान किया जाता है?
    a) ₹50,000 – ₹5 लाख
    b) ₹5 लाख – ₹10 लाख
    c) ₹10 लाख – ₹1 करोड़
    d) ₹1 करोड़ – ₹5 करोड़
    उत्तर: c) ₹10 लाख – ₹1 करोड़

  4. स्टैंड अप इंडिया योजना का मुख्य उद्देश्य क्या है?
    a) किसानों को सहायता प्रदान करना
    b) महिलाओं और वंचित वर्गों को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करना
    c) शिक्षा ऋण उपलब्ध कराना
    d) विदेशी निवेश बढ़ाना
    उत्तर: b) महिलाओं और वंचित वर्गों को स्वरोजगार हेतु प्रोत्साहित करना


वर्णनात्मक प्रश्न (Descriptive Questions):

  1. स्टैंड अप इंडिया योजना के प्रमुख उद्देश्यों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।

  2. महिला सशक्तिकरण की दिशा में स्टैंड अप इंडिया योजना की भूमिका का विश्लेषण कीजिए।

  3. स्टैंड अप इंडिया योजना की चुनौतियों और सुधार की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।

  4. स्टैंड अप इंडिया योजना और मुद्रा योजना में अंतर स्पष्ट कीजिए।



Previous & Next Post in Blogger
|
✍️ARVIND SINGH PK REWA

Comments

Advertisement

POPULAR POSTS