ब्लॉग लेख
शीर्षक: डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वैमनस्य का कारोबार – कैसे एक क्लिक से बिगड़ रहा है सामाजिक ताना-बाना?
आज जब देश डिजिटल क्रांति के दौर से गुजर रहा है, इंटरनेट और सोशल मीडिया का उपयोग तेजी से बढ़ा है। ज्ञान, सूचना और संवाद के ये माध्यम अब हमारी सोच और दृष्टिकोण को भी आकार देने लगे हैं। लेकिन अफसोस की बात यह है कि इन माध्यमों का प्रयोग अब कई लोग सामाजिक समरसता को बढ़ाने के बजाय जातीय, धार्मिक और वैचारिक टकराव को भड़काने के लिए कर रहे हैं।
एक खतरनाक ट्रेंड की शुरुआत
आज यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर ऐसे चैनलों की भरमार हो गई है जो एक खास समुदाय, जाति या विचारधारा को लक्षित करके कंटेंट बनाते हैं। इनका मुख्य उद्देश्य है – भीड़ का समर्थन प्राप्त करना। इसके लिए वे लोगों की पीड़ा, गुस्सा और भ्रम को ईंधन की तरह इस्तेमाल करते हैं।
मान लीजिए अगर किसी चैनल को मोदी विरोधियों का समर्थन चाहिए, तो वह प्रधानमंत्री मोदी के हर फैसले की आलोचना करेगा, भले ही उसमें जनहित छिपा हो। अगर कोई चैनल सनातन धर्म के अनुयायियों को जोड़ना चाहता है, तो वह इस्लाम या मुसलमानों को टारगेट करने वाले वीडियो तैयार करेगा। इसी प्रकार यदि किसी का लक्ष्य दलित या पिछड़े वर्ग के लोगों को जोड़ना है, तो वह ब्राह्मण समाज को खलनायक की तरह प्रस्तुत करेगा और यह दर्शाएगा कि उनकी सारी समस्याओं की जड़ ब्राह्मण व्यवस्था है।
सोचिए, यह कितना खतरनाक है!
समस्या केवल डिजिटल नहीं, सामाजिक है
सरकार की भूमिका और जिम्मेदारी
लेकिन केवल कानून से समाधान नहीं होगा।
समाज को भी बदलनी होगी सोच
हमें ऐसे कंटेंट को पहचानना होगा जो उद्देश्यपूर्ण आलोचना के बजाय दुर्भावनापूर्ण हमला कर रहे हों। हमें विचार करना होगा कि कहीं हम अपने ही समाज को तोड़ने वालों का उपकरण तो नहीं बन रहे?
निष्कर्ष: एक जागरूक क्लिक से ही रुक सकती है वैमनस्य की क्लिकबाज़ी
समाज को जोड़ने वाली बातों को बढ़ावा दें, तोड़ने वाली सोच से बचें। जागरूक नागरिक वही होता है जो अपनी भावनाओं का इस्तेमाल करता है, लेकिन इस्तेमाल नहीं होने देता।
यह विषय UPSC (विशेषकर GS पेपर 2 और निबंध पेपर) से गहराई से जुड़ा हुआ है। चलिए स्पष्ट रूप से समझते हैं:
UPSC GS Paper 2 (Governance, Polity, Social Justice & International Relations)
इस लेख का विषय निम्नलिखित टॉपिक्स से संबंधित है:
- Governance: डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट का नियमन और सरकार की भूमिका
- Role of NGOs, SHGs, various groups and associations: डिजिटल समाज में उभरते विचारात्मक समूह
- Mechanisms, laws, institutions and Bodies constituted for the protection of vulnerable sections: जातीय और धार्मिक रूप से संवेदनशील समुदायों की सुरक्षा
- Communalism, regionalism & secularism: सांप्रदायिकता और जातीय विद्वेष की प्रवृत्ति
UPSC Essay Paper
यह विषय सामाजिक समरसता, डिजिटल युग में नैतिकता, और गठित विचारों की स्वतंत्रता बनाम भड़काऊ विचारधारा जैसे निबंधों के लिए बेहद उपयोगी है।
उदाहरण के लिए:
- “The role of media in shaping social harmony in the digital age.”
- “Freedom of speech vs. Responsible content creation – a digital dilemma.”
- “Caste and communal identities in the modern Indian narrative.”
समसामयिकता (Current Affairs) में उपयोगिता
- डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर रेगुलेशन (जैसे IT Rules 2021)
- फेक न्यूज़, हेट स्पीच, और सरकार की भूमिका
- सांप्रदायिक तनाव से जुड़े वर्तमान उदाहरण (जो उत्तर में case studies की तरह उपयोगी होते हैं)
Very nice 👌 👍
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