भारत-फ्रांस रक्षा सौदा 2025: राफेल मरीन जेट्स से भारतीय नौसेना को नई ताकत।
भारत और फ्रांस के बीच हाल ही में हुआ ₹63,000 करोड़ का रक्षा सौदा केवल एक व्यावसायिक अनुबंध नहीं, बल्कि भारत की सामरिक सुरक्षा नीति में एक निर्णायक मोड़ है। इस समझौते के अंतर्गत भारतीय नौसेना के लिए 26 राफेल मरीन फाइटर जेट की खरीद को स्वीकृति दी गई है, जिनमें 22 सिंगल-सीटर और 4 ट्विन-सीटर विमान शामिल हैं। इनका उपयोग भारत के स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत पर किया जाएगा। यह सौदा न केवल भारत की समुद्री शक्ति को मजबूत करता है, बल्कि हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में भारत की रणनीतिक पकड़ को भी सुदृढ़ करता है।
रणनीतिक संदर्भ में सौदे का महत्व
हिन्द-प्रशांत क्षेत्र वर्तमान वैश्विक राजनीति का केंद्र बनता जा रहा है। चीन की आक्रामक नीति, समुद्री मार्गों पर उसका प्रभाव और दक्षिण चीन सागर में तनावपूर्ण गतिविधियाँ भारत के लिए चिंता का विषय हैं। ऐसे में नौसेना की क्षमता बढ़ाना अत्यंत आवश्यक हो गया है। राफेल मरीन फाइटर जेट्स की तैनाती भारतीय नौसेना को वायु और समुद्री दोनों स्तरों पर उन्नत सामरिक बढ़त प्रदान करेगी।
फ्रांस – एक विश्वसनीय रक्षा साझेदार
भारत और फ्रांस के संबंध पारंपरिक मित्रता से कहीं आगे बढ़कर रणनीतिक साझेदारी में परिवर्तित हो चुके हैं। फ्रांस ने न केवल उन्नत तकनीक प्रदान की है, बल्कि भारत की ‘मेक इन इंडिया’ नीति का समर्थन भी किया है। यह सौदा दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग को नई ऊँचाइयाँ देने वाला है।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम
आईएनएस विक्रांत जैसे स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर पर फ्रांसीसी फाइटर जेट्स की तैनाती दिखाती है कि भारत अब रक्षा के क्षेत्र में केवल आयातक नहीं, बल्कि रणनीतिक निर्माता और संयोजक बन रहा है। यह रक्षा अधिग्रहण ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को बल देता है, साथ ही घरेलू उद्योगों के लिए तकनीकी साझेदारी के द्वार खोलता है।
चुनौतियाँ और भविष्य की राह
हालाँकि, इतनी बड़ी रक्षा डील में पारदर्शिता, लागत नियंत्रण और समय पर डिलीवरी जैसी चुनौतियाँ भी होंगी। भारत को यह सुनिश्चित करना होगा कि यह सौदा केवल सैन्य शक्ति बढ़ाने तक सीमित न रहे, बल्कि घरेलू रक्षा उत्पादन क्षमता को भी सशक्त करे।
निष्कर्ष
भारत-फ्रांस रक्षा डील आने वाले दशकों के लिए भारत की समुद्री नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह सौदा भारत की वैश्विक स्थिति, तकनीकी उन्नति और आत्मनिर्भरता के सपने को मजबूती से आगे बढ़ाता है। अब समय है कि हम इस अवसर का उपयोग एक सशक्त और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में करें।
यह समाचार UPSC (सिविल सेवा मुख्य परीक्षा) के लिए विशेष रूप से GS Paper-2 (अंतरराष्ट्रीय संबंध) और GS Paper-3 (सुरक्षा एवं रक्षा) में उपयोगी हो सकता है। इस पर आधारित कुछ संभावित प्रश्न नीचे दिए गए हैं:
संभावित UPSC Mains प्रश्न:
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“भारत और फ्रांस के बीच हुई रक्षा डील भारत की समुद्री शक्ति को किस प्रकार सुदृढ़ करती है?” – विश्लेषण कीजिए।
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राफेल मरीन फाइटर जेट सौदे की रणनीतिक महत्ता पर चर्चा कीजिए, विशेषकर भारत की इंडो-पैसिफिक नीति के संदर्भ में।
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आईएनएस विक्रांत जैसे स्वदेशी विमानवाहक पोतों पर उन्नत लड़ाकू विमानों की तैनाती भारतीय आत्मनिर्भर रक्षा नीति की दिशा में कितना प्रभावी कदम है? – टिप्पणी कीजिए।
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भारत-फ्रांस रक्षा सहयोग की बदलती प्रवृत्तियों का परीक्षण कीजिए और भविष्य की संभावनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
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भारत की रक्षा खरीद नीति में हालिया सुधार और उसका घरेलू रक्षा उत्पादन पर प्रभाव – चर्चा कीजिए।
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