संपादकीय लेख: सूडान संकट – इतिहास से वर्तमान तक एक अंतहीन त्रासदी
Keywords- Sudan crisis, civil war, Darfur, RSF, humanitarian disaster.
सूडान एक बार फिर वैश्विक सुर्खियों में है, लेकिन इस बार भी कारण वही है – हिंसा, गृहयुद्ध और मानवाधिकारों का भयावह उल्लंघन। हाल ही में सूडान के दारफुर क्षेत्र में दो राहत शिविरों पर हुए हमले में 300 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जिनमें मानवीय सहायता कर्मी और बच्चे भी शामिल हैं। यह घटना सिर्फ एक युद्ध अपराध नहीं, बल्कि एक देश की निरंतर होती मानवता की पराजय है। लेकिन इस संकट को समझने के लिए हमें सूडान के इतिहास में झांकना होगा, जहां वर्षों से चल रहे संघर्ष की जड़ें छिपी हैं।
इतिहास के गर्भ में सूडान का संकट
सूडान अफ्रीका का एक विशाल देश है, जो 1956 में ब्रिटेन और मिस्र से स्वतंत्र हुआ। स्वतंत्रता के बाद से ही यह देश जातीय, सांस्कृतिक और धार्मिक विविधताओं के कारण टकराव का केंद्र बन गया। उत्तर सूडान, जो मुख्यतः मुस्लिम और अरबी बोलने वाला है, और दक्षिण सूडान, जो अधिकतर ईसाई और आदिवासी समुदायों का है, के बीच द्वंद्व लंबे समय तक चला।
1955 से लेकर 1972 और फिर 1983 से 2005 तक दो भीषण गृहयुद्ध हुए, जिनमें लाखों लोग मारे गए और करोड़ों विस्थापित हुए। इस अंतहीन संघर्ष का ही परिणाम था कि 2011 में दक्षिण सूडान को एक स्वतंत्र राष्ट्र बना दिया गया। लेकिन इससे उत्तर सूडान की अंदरूनी समस्याएं खत्म नहीं हुईं, बल्कि और जटिल हो गईं।
दारफुर संकट: एक मानवीय त्रासदी
2003 में सूडान के दारफुर क्षेत्र में एक अलग संघर्ष शुरू हुआ, जब विद्रोही गुटों ने सरकार पर क्षेत्रीय उपेक्षा का आरोप लगाते हुए हथियार उठा लिए। इसके जवाब में सरकार ने जनजातीय मिलिशिया "जनजवीद" को समर्थन दिया, जिसने बड़े पैमाने पर नरसंहार, बलात्कार और गांवों को जलाने जैसे अपराध किए। संयुक्त राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय ने इसे "नरसंहार" करार दिया।
दारफुर संकट ने लाखों लोगों को शरणार्थी बनने पर मजबूर कर दिया और आज भी यह क्षेत्र अस्थिरता, भूख और हिंसा की गिरफ्त में है।
वर्तमान संकट और RSF की भूमिका
2023 से सूडान में एक और गृहयुद्ध भड़क उठा, इस बार सेना और अर्धसैनिक बल RSF (Rapid Support Forces) के बीच सत्ता संघर्ष के रूप में। RSF की उत्पत्ति उसी जनजवीद से हुई थी, जिसने दारफुर में अत्याचार किए थे। अब वही बल राजधानी खार्तूम से लेकर दूर-दराज़ के राहत शिविरों तक आम नागरिकों पर हमले कर रहा है।
हाल ही में दारफुर में राहत शिविरों पर हुआ हमला इसी संघर्ष का भयावह चेहरा है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, पिछले दो वर्षों में सूडान में 24,000 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं और लाखों विस्थापित हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और विफलता
सूडान संकट अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था की एक गहरी विफलता को उजागर करता है। पश्चिमी देशों की प्रतिक्रिया सीमित निंदा और मानवीय सहायता तक सिमटी रही है। अफ्रीकी संघ की मध्यस्थता भी निर्णायक नहीं हो सकी है। जबकि रूस, चीन और कुछ खाड़ी देश सूडान में अपनी रणनीतिक पकड़ बनाए रखने की होड़ में लगे हैं।
जब तक वैश्विक समुदाय इस संघर्ष को सिर्फ ‘अफ्रीकी समस्या’ मानता रहेगा, तब तक सूडान में शांति की संभावना क्षीण बनी रहेगी।
क्या है रास्ता आगे का?
- राजनीतिक समाधान की पहल: संघर्षरत पक्षों के बीच स्थायी संघर्षविराम और राजनीतिक संवाद की आवश्यकता है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं निर्णायक भूमिका निभाएं।
- मानवीय सहायता की सुरक्षा: राहत शिविरों, अस्पतालों और स्कूलों को युद्ध से अलग रखा जाए और मानवीय संगठनों को सुरक्षा प्रदान की जाए।
- युद्ध अपराधों की जांच: ICC जैसे संस्थानों को प्रभावी हस्तक्षेप कर युद्ध अपराधियों के खिलाफ न्याय सुनिश्चित करना होगा।
- स्थानीय नागरिक भागीदारी: सूडान की शांति प्रक्रिया में केवल सत्ता पक्षों को नहीं, बल्कि नागरिक समाज, महिलाओं और युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित होनी चाहिए।
निष्कर्ष
सूडान का संकट सिर्फ एक देश की समस्या नहीं, बल्कि समूची अंतरात्मा को झकझोरने वाली वैश्विक त्रासदी है। इतिहास बार-बार हमें यह सिखाता है कि जब न्याय, मानवाधिकार और संवाद की अनदेखी की जाती है, तब युद्ध, हिंसा और पीड़ा जन्म लेते हैं। सूडान की सड़कों पर बहता खून सिर्फ अफ्रीका का नहीं, वह पूरे मानव समाज की विफलता का प्रतीक है। अब समय आ गया है कि दुनिया जागे — इससे पहले कि सूडान इतिहास में एक और 'भूले-बिसरे नरसंहार' के रूप में दर्ज हो जाए।
नीचे सूडान संकट 2025 पर आधारित कुछ संभावित प्रश्न दिए गए हैं जो UPSC, राज्य PCS, निबंध लेखन, या समसामयिक चर्चा के लिए उपयोगी हो सकते हैं:
UPSC/PCS GS पेपर 2 व 3 हेतु संभावित प्रश्न:
- "सूडान संकट 2025" को अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून और मानवाधिकारों के परिप्रेक्ष्य में विश्लेषित कीजिए।
- दारफुर क्षेत्र में जारी संघर्ष के ऐतिहासिक और वर्तमान कारणों की विवेचना कीजिए।
- अर्धसैनिक बल RSF की भूमिका और सूडान की आंतरिक स्थिरता पर उसके प्रभाव का मूल्यांकन कीजिए।
- सूडान संकट में संयुक्त राष्ट्र और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों की भूमिका कितनी प्रभावी रही है? विवेचना कीजिए।
- सूडान संकट से जुड़े मानवीय संकट के प्रमुख आयाम क्या हैं? भारत सहित वैश्विक समुदाय की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
निबंध लेखन हेतु संभावित विषय:
- "जब राहत शिविर भी सुरक्षित नहीं रहें – सूडान संकट में मानवता की हार"
- "सत्ता की भूख और जनता का संकट: अफ्रीका के संघर्ष से क्या सीखें?"
- "एक राष्ट्र, अनेक संघर्ष – सूडान की कहानी इतिहास से वर्तमान तक"
- "संकट केवल भू-राजनीतिक नहीं, मानवीय भी होता है"
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