दैनिक समसामयिकी लेख संकलन व विश्लेषण: 27 अप्रैल 2025 1-नये भारत में पितृत्व के अधिकार की पुनर्कल्पना सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से तलाकशुदा और अविवाहित पुरुषों के सरोगेसी के अधिकार को लेकर मांगा गया जवाब एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बहस की शुरुआत का संकेत देता है। महेश्वर एम.वी. द्वारा दायर याचिका केवल व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में परिवार, पितृत्व और व्यक्तिगत गरिमा के बदलते मायनों को न्यायिक जांच के दायरे में लाती है। वर्तमान कानूनी परिदृश्य सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 एक नैतिक और कानूनी प्रयास था, जिसका उद्देश्य वाणिज्यिक सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकना और मातृत्व के शोषण को समाप्त करना था। परंतु, इस अधिनियम में सरोगेसी का अधिकार केवल विधिवत विवाहित दंपतियों और विधवा या तलाकशुदा महिलाओं तक सीमित किया गया, जबकि तलाकशुदा अथवा अविवाहित पुरुषों को इससे बाहर कर दिया गया। यह प्रावधान न केवल लैंगिक समानता के सिद्धांत के विपरीत है, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 ...
बिम्सटेक 2025 : एशिया के सहयोग की नई संभावनाएँ परिचय बिम्सटेक (BIMSTEC) — Bay of Bengal Initiative for Multi-Sectoral Technical and Economic Cooperation — एक ऐसा क्षेत्रीय संगठन है, जो बंगाल की खाड़ी से जुड़े सात देशों को आपस में जोड़ता है। इसकी स्थापना 6 जून 1997 को थाईलैंड के बैंकॉक में हुई थी, और इसके सदस्य देश हैं: भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, भूटान, म्यांमार और थाईलैंड। इसका उद्देश्य क्षेत्रीय आर्थिक और तकनीकी सहयोग को बढ़ावा देना है। 4 अप्रैल 2025 को थाईलैंड के बैंकॉक में बिम्सटेक की छठी शिखर बैठक आयोजित की गई, जिसमें सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों एवं प्रधानमंत्रियों ने भाग लिया। यह बैठक इसलिए विशेष थी क्योंकि यह कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार प्रत्यक्ष रूप से आयोजित की गई थी। इसका मुख्य विषय था — “समृद्ध, लचीला और खुला बिम्सटेक” । बैंकॉक विज़न 2030: भविष्य की नींव इस बैठक का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय था “बैंकॉक विज़न 2030” को अपनाना। यह दस्तावेज़ बिम्सटेक के भावी लक्ष्यों, प्राथमिकताओं और सहयोग के क्षेत्रों को स्पष्ट करता है। इसमें पारस्परिक व्यापार, ऊर्जा सहयोग, परिवह...