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Daily Current Affairs: 27 April 2025

दैनिक समसामयिकी लेख संकलन व विश्लेषण: 27 अप्रैल 2025 1-नये भारत में पितृत्व के अधिकार की पुनर्कल्पना सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार से तलाकशुदा और अविवाहित पुरुषों के सरोगेसी के अधिकार को लेकर मांगा गया जवाब एक महत्वपूर्ण संवैधानिक बहस की शुरुआत का संकेत देता है। महेश्वर एम.वी. द्वारा दायर याचिका केवल व्यक्तिगत आकांक्षा नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में परिवार, पितृत्व और व्यक्तिगत गरिमा के बदलते मायनों को न्यायिक जांच के दायरे में लाती है। वर्तमान कानूनी परिदृश्य सरोगेसी (नियमन) अधिनियम, 2021 एक नैतिक और कानूनी प्रयास था, जिसका उद्देश्य वाणिज्यिक सरोगेसी के दुरुपयोग को रोकना और मातृत्व के शोषण को समाप्त करना था। परंतु, इस अधिनियम में सरोगेसी का अधिकार केवल विधिवत विवाहित दंपतियों और विधवा या तलाकशुदा महिलाओं तक सीमित किया गया, जबकि तलाकशुदा अथवा अविवाहित पुरुषों को इससे बाहर कर दिया गया। यह प्रावधान न केवल लैंगिक समानता के सिद्धांत के विपरीत है, बल्कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा के अधिकार पर भी प्रश्नचिह्न लगाता है। संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 ...

UN Happiness Report 2024: Where Does Your Country Stand?

UN विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 - फिनलैंड की निरंतर सफलता और भारत की चुनौतियाँ परिचय 20 मार्च, 2025 को हम अंतरराष्ट्रीय खुशहाली दिवस मना रहे हैं, और इसी संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र (UN) के सहयोग से जारी विश्व खुशहाली रिपोर्ट 2024 ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर खुशी और जीवन संतुष्टि के मापदंडों को सामने रखा है। इस रिपोर्ट में फिनलैंड को लगातार आठवें वर्ष दुनिया का सबसे खुशहाल देश घोषित किया गया है, जो एक उल्लेखनीय उपलब्धि है। इसके बाद डेनमार्क, आइसलैंड, स्वीडन, नीदरलैंड्स, कोस्टा रिका, नॉर्वे, इज़रायल, लक्ज़मबर्ग और मेक्सिको शीर्ष दस में शामिल हैं। दूसरी ओर, भारत इस सूची में 143 देशों में से 118वें स्थान पर है, जो देश के सामने मौजूद सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक चुनौतियों की ओर इशारा करता है। यह संपादकीय विश्व खुशहाली रिपोर्ट के निष्कर्षों का विश्लेषण करता है, फिनलैंड की सफलता के कारणों की पड़ताल करता है, और भारत की स्थिति को बेहतर करने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा करता है। यह लेख परीक्षा की दृष्टि से उपयोगी जानकारी प्रदान करने के साथ-साथ एक गहन चिंतन भी प्रस्तुत करता है। विश्व खुशहाली रिपो...

India to Become the World's Third Largest Economy in 3 Years

 भारत अगले 3 साल में बनेगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था परिचय भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। मॉर्गन स्टैनली की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, अगले तीन वर्षों में भारत जर्मनी को पीछे छोड़कर विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। वर्ष 2026 तक भारत की अर्थव्यवस्था 4.7 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जिससे यह विश्व में चौथे स्थान पर आ जाएगा। इसके बाद, भारत जापान को भी पीछे छोड़कर तीसरे स्थान पर पहुंच सकता है। इस लेख में भारत की आर्थिक प्रगति, इसके प्रमुख कारणों, प्रभावों और भविष्य की संभावनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई है। भारत की आर्थिक प्रगति का संक्षिप्त इतिहास भारत की अर्थव्यवस्था की यात्रा संघर्षों और उपलब्धियों से भरी रही है। यदि हम 1990 के दशक की बात करें, तो भारत दुनिया की 12वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था था। 1991 के आर्थिक सुधारों के बाद, भारत ने वैश्विक स्तर पर तेज़ी से प्रगति की। कुछ प्रमुख उपलब्धियाँ निम्नलिखित हैं: 1991 – आर्थिक उदारीकरण और वैश्वीकरण की शुरुआत 2008 – वैश्विक आर्थिक संकट के बावजूद भारत की जीडीपी वृद्धि दर स्थ...

Top 10 Countries with the Lowest Unemployment Rate

 दुनिया के सबसे कम बेरोज़गारी वाले टॉप 10 देश बेरोज़गारी किसी भी देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिरता के लिए एक महत्वपूर्ण संकेतक होती है। कम बेरोज़गारी वाले देश अपने नागरिकों को अधिक रोजगार अवसर प्रदान करते हैं, जिससे उनकी अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलती है। हाल ही में अमेरिकी फाइनेंशियल सर्विस फर्म "रेमिटली" द्वारा जारी इमिग्रेशन इंडेक्स 2025 में उन 10 देशों की सूची प्रकाशित की गई है जहाँ बेरोज़गारी दर सबसे कम है। इस लेख में हम इन देशों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे और उनके आर्थिक मॉडल, सरकारी नीतियों और अन्य कारकों का विश्लेषण करेंगे जो इन्हें कम बेरोज़गारी दर बनाए रखने में मदद करते हैं। बेरोज़गारी क्या है और इसे कैसे मापा जाता है? बेरोज़गारी एक आर्थिक स्थिति होती है जिसमें काम करने योग्य व्यक्ति रोजगार प्राप्त करने में असमर्थ होता है। इसे मापने के लिए विभिन्न पद्धतियाँ अपनाई जाती हैं, जिनमें प्रमुख हैं: 1. खुली बेरोज़गारी (Open Unemployment) – जब व्यक्ति रोजगार पाने के लिए प्रयासरत होता है, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिलती। 2. गुप्त बेरोज़गारी (Disguised Unemployment) – जब अधिक ...

Top 10 Happiest Countries in the World: An Analysis

 दुनिया के 10 सबसे खुशहाल देश: एक विश्लेषण भूमिका खुशहाली किसी भी देश की सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिरता का संकेत होती है। विश्वभर में कई ऐसे देश हैं, जहाँ नागरिकों का जीवन स्तर उच्च होता है और लोग स्वयं को अधिक संतुष्ट महसूस करते हैं। हाल ही में जारी इमिग्रेशन इंडेक्स 2025 के अनुसार, फिनलैंड लगातार 7वें वर्ष दुनिया का सबसे खुशहाल देश बना हुआ है। इस लेख में हम दुनिया के 10 सबसे खुशहाल देशों का विश्लेषण करेंगे और जानेंगे कि वे किन कारणों से इस सूची में शामिल हैं। खुशहाली मापने के मानदंड किसी देश की खुशहाली का आकलन करने के लिए विभिन्न कारकों को ध्यान में रखा जाता है, जैसे: 1. जीवन संतोष (Life Satisfaction) – लोग अपने जीवन से कितने संतुष्ट हैं। 2. आर्थिक स्थिरता (Economic Stability) – प्रति व्यक्ति आय और आर्थिक समृद्धि। 3. स्वास्थ्य सुविधाएँ (Healthcare) – नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध हैं या नहीं। 4. शिक्षा प्रणाली (Education System) – उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा का स्तर। 5. सामाजिक सुरक्षा (Social Security) – सरकार द्वारा नागरिकों को दी जाने वाली सुविधाएँ। 6. भ्र...

India’s Economic Growth: Moody’s Projection

 भारतीय अर्थव्यवस्था की संभावित वृद्धि: मूडीज़ का आकलन भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण शक्ति बन रही है। अंतर्राष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने अपने हालिया विश्लेषण में कहा है कि भारत की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 2025-26 में 6.5% से अधिक रहने की संभावना है। इस वृद्धि का कारण उच्च सरकारी पूंजीगत व्यय, कर कटौती और ब्याज दरों में कमी को माना जा रहा है। यह लेख भारतीय अर्थव्यवस्था की इस संभावित वृद्धि को विभिन्न पहलुओं से विश्लेषित करेगा और इसे समझने के लिए परीक्षा उपयोगी तथ्यों को प्रस्तुत करेगा। भारत की आर्थिक वृद्धि: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले कुछ दशकों में तेज़ी से विकसित हुई है। 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद, भारत ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ अपने संबंधों को मजबूत किया। हाल के वर्षों में, कोविड-19 महामारी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला संकट और भू-राजनीतिक तनावों के बावजूद भारतीय अर्थव्यवस्था ने लचीलापन दिखाया है। पिछले वर्षों की जीडीपी वृद्धि दर (संकेतक रूप में) 2020-21: -7.3% (कोविड-19 के कारण संकुचन) 2021-22: 8.7% (तेज़ रिकवरी) 2022-...

Bloom Ventures Report: Analyzing India's Economic Reality

 ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट और भारत की वास्तविक आर्थिक स्थिति हाल ही में ब्लूम वेंचर्स की एक रिपोर्ट ने यह दावा किया कि भारत की बड़ी आबादी के पास विवेकाधीन खर्च (discretionary spending) करने की क्षमता नहीं है और देश का मध्यम वर्ग सिकुड़ रहा है। इस रिपोर्ट के अनुसार, केवल एक छोटा सा वर्ग ही ऐसा है जो अपनी आवश्यक जरूरतों से परे खर्च कर सकता है। हालांकि, इस रिपोर्ट को कई आर्थिक विशेषज्ञों, सरकारी आंकड़ों और अन्य अध्ययनों ने चुनौती दी है। ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट के प्रमुख दावे ब्लूम वेंचर्स ने अपनी रिपोर्ट में कुछ मुख्य बिंदु प्रस्तुत किए, जिनमें शामिल हैं: ↪लगभग एक अरब भारतीयों के पास अतिरिक्त खर्च की क्षमता नहीं है। ↪भारत का मध्यम वर्ग धीरे-धीरे घट रहा है। ↪अधिकांश भारतीय अपनी आवश्यक जरूरतों पर ही खर्च करते हैं और बचत करने में असमर्थ हैं। ↪स्टार्टअप और उद्यमियों के लिए भारतीय बाजार उतना आकर्षक नहीं है जितना अनुमान लगाया जाता है। क्या कहते हैं सरकारी और अन्य आर्थिक आंकड़े? ब्लूम वेंचर्स की रिपोर्ट के दावों के विपरीत, भारत की आर्थिक स्थिति को मापने वाले कई महत्वपूर्ण संकेतक एक अलग तस्वी...

Corruption and Global Rankings: An Analysis of India and the World

 यह संपादकीय लेख ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल द्वारा जारी 2024 करप्शन परसेप्शन इंडेक्स के आधार पर दुनिया और भारत में भ्रष्टाचार की स्थिति का विश्लेषण करता है। इसमें भारत और उसके पड़ोसी देशों की भ्रष्टाचार रैंकिंग, भ्रष्टाचार के कारण, प्रभाव और इसे रोकने के उपायों पर चर्चा की गई है। लेख में बताया गया है कि डेनमार्क दुनिया का सबसे कम भ्रष्ट देश है, जबकि दक्षिण सूडान सबसे अधिक भ्रष्ट है। भारत 96वें स्थान पर है, जो दर्शाता है कि देश में अभी भी भ्रष्टाचार एक गंभीर समस्या बनी हुई है। भारत के पड़ोसी देशों में भूटान (18वां), पाकिस्तान (135वां) और म्यांमार (168वां) स्थान पर हैं। लेख में यह भी बताया गया है कि भ्रष्टाचार क्यों होता है, इसके नकारात्मक प्रभाव क्या हैं, और इसे कम करने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं। निष्कर्ष के रूप में, यह जोर दिया गया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई केवल सरकार की नहीं, बल्कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी भी है। भ्रष्टाचार और वैश्विक रैंकिंग: भारत और विश्व पर एक विश्लेषण भ्रष्टाचार किसी भी देश की प्रगति में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक होता है। यह न केवल आर्थिक विकास...

फोर्ब्स की शक्तिशाली देशों की सूची से भारत का बाहर रहना: क्या यह न्यायसंगत है?

हाल ही में फोर्ब्स द्वारा जारी 2025 की दुनिया के 10 सबसे शक्तिशाली देशों की सूची में भारत का नाम नहीं है। यह आश्चर्यजनक और चिंताजनक दोनों है क्योंकि भारत न केवल एक बड़ी अर्थव्यवस्था है, बल्कि एक परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र भी है। ऐसे में, यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या फोर्ब्स की रैंकिंग के मानदंड भारत की वास्तविक वैश्विक स्थिति को दर्शाते हैं, या यह किसी पूर्व निर्धारित पश्चिमी दृष्टिकोण का परिणाम है? भारत की शक्ति और वैश्विक प्रभाव भारत दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और हाल के वर्षों में चौथी सबसे बड़ी सैन्य शक्ति के रूप में उभरा है। इसके अलावा, भारत G20 की अध्यक्षता कर चुका है और वैश्विक मंचों पर 'वैश्विक दक्षिण' (Global South) की आवाज बनकर उभरा है। अर्थव्यवस्था: भारत GDP के मामले में यूके, फ्रांस, और रूस से आगे निकल चुका है, जो इस सूची में स्थान प्राप्त कर चुके हैं। सैन्य शक्ति: भारत परमाणु शक्ति संपन्न देश है और स्वदेशी रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भर बनने की ओर अग्रसर है। राजनीतिक प्रभाव: भारत QUAD, BRICS, और SCO जैसे संगठनों का महत्वपूर्ण सदस्य है, जो उसकी व...

विश्व आर्थिक मंच (WEF) की रिपोर्ट "ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी आउटलुक 2025"

 विश्व आर्थिक मंच (WEF) की  रिपोर्ट  "ग्लोबल साइबरसिक्योरिटी आउटलुक 2025" साइबर सुरक्षा से जुड़ी चुनौतियों और जोखिमों पर एक व्यापक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। रिपोर्ट के अनुसार, तेजी से डिजिटल हो रही दुनिया में साइबर खतरों की गंभीरता और जटिलता बढ़ती जा रही है। रिपोर्ट के मुख्य बिंदु: 1. भू-राजनीतिक तनाव: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ते तनाव ने साइबर हमलों के खतरे को बढ़ा दिया है। देश और गैर-राज्यीय तत्वों द्वारा साइबर युद्ध और संवेदनशील डेटा को निशाना बनाना प्रमुख चिंता है। आर्थिक और राजनीतिक उद्देश्यों के लिए "रैनसमवेयर" और "स्पाइवेयर" हमलों में वृद्धि हो रही है। 2. अप्रचलित प्रणालियाँ: कई देशों और संगठनों में पुरानी और कमजोर तकनीकी प्रणालियाँ (legacy systems) हैं, जो उन्नत साइबर खतरों के खिलाफ असुरक्षित हैं। तकनीकी अपग्रेड में निवेश की कमी जोखिम को और बढ़ा रही है। 3. साइबर सुरक्षा कौशल की कमी: वैश्विक स्तर पर कुशल साइबर सुरक्षा पेशेवरों की भारी कमी है। संगठनों में विशेष रूप से छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (SMEs) में साइबर सुरक्षा जागरूकता और प्रशिक्षण की कम...

विश्व बैंक रिपोर्ट : भारत की आर्थिक वृद्धि, चुनौतियां और अवसर

 भारत, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक, वर्तमान में वैश्विक आर्थिक परिवर्तनों के बीच अपनी विकास यात्रा पर है। हाल ही में विश्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य पर विचार प्रस्तुत किया है, जिसमें अगले दो वित्तीय वर्षों में भारत की विकास दर 6.7% रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। हालांकि, 2024-25 में यह दर घटकर 6.5% तक पहुंचने का पूर्वानुमान है। रिपोर्ट में निवेश में मंदी और उत्पादन गतिविधियों में सुस्ती को इस मंदी का मुख्य कारण बताया गया है। इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह आवश्यक है कि हम भारतीय अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति, उसकी चुनौतियों और संभावनाओं का गहराई से विश्लेषण करें। विकास दर में गिरावट: क्या हैं इसके कारण? विकास दर में गिरावट का मुख्य कारण निवेश में मंदी और उत्पादन गतिविधियों की धीमी गति है। निवेश की कमी अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की रफ्तार को बाधित कर सकती है। इस दौरान उद्योगों में नवीनतम तकनीकों और बुनियादी ढांचे में सुधार की गति भी धीमी हो सकती है। उत्पादन क्षेत्र में भी वैश्विक आपूर्ति ...

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